अस्पृश्यता संबंधित गुनाहोंके विधेयक पर राजसभामें वक्तव्य, अनु.
जाति पंचके अहवाल पर चर्चा 1954
साम्यवादके
बारे में मैंने जितनीं किताबें पढीं है
उनकी संख्या सभी साम्यवादी नेताओंके पढ़ी किताबोंकी कुल संख्यासे भी ज्यादा है।
परन्तु मेरा अभिप्राय है कि साम्यवादीओं ने कभी भी इस (जाति के) प्रश्नके
व्यवहारिक पहलूओंकी ओर ध्यान नहीं दिया।
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