Friday, December 30, 2011

२० दिसम्बर : गांधीवाद





महाडमें मनुस्मृति दहन 1927


वर्णव्यवस्था अगर जिंदा है तो वह भगवदगीता के कारण। मनुष्य के प्रकृतिगत गुण के आधार पर वर्णो की रचना हुई है। इस तरह की दलील करके गीता ने वर्णोव्यवस्था को तात्विक आधार दिया। वर्णव्यवस्था को सहारा देने तथा मजबूत बनाने के लिये भगवतगीता ने सांख्य तत्वचिंतन का उपयोग किया, वर्ना वर्णव्यवस्था बिल्कुल निरर्थक है ऐसा मान लिया जाता। उसका गले उतरे ऐसा आधार देकर वर्णव्यवस्था को नया जीवन देने का पर्याप्त तूफान भगवदगीता ने किया है।

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