ब्राह्मणवाद
यानि एक समुदायके रुपमें ब्राह्मणोंके हित, सत्ता और विशेषाधिकार ऐसा अर्थ
मैं नहीं करता। ब्राह्मणवाद यानि मेरे मन
अनुसार स्वतंत्रता, समानता और बंधुताकी भावनाका इन्कार, इस अर्थमें ब्राह्मणवाद
सभी वर्गो में फैला है और सिर्फ ब्राह्मणों तक सीमित नहीं है, भले ही ब्राह्मणने उसका सर्जन
क्यों न किया हो।
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