Saturday, December 24, 2011

१६ फरवरी : हिन्दुधर्म



                      












दिल्ली में शाहूजी महाराज के अध्यक्षपद पर तीसरी अखिल भारतीय बहिष्कृत परिषद 1921


जब मैं नियमोंके धर्मका विरोध करता हूँ, तब धर्मकी कोई भी जरुरत नहीं रहती ऐसा अभिप्राय मैं रखता हूँ ऐसी गलतफहमी मेरे लिये नहीं होनी चाहिये। बल्कि मैं बर्क के साथ संमत हूँ, जब वे कहते है कि " सच्चा धर्म समाज की नींव है, इस नींव पर सभी नागरिक, सरकारें और उनके नियम टिके हैं।"

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